आफत वो चीनीकम सी हंसी वो शराररती शराफत
बला का आफताब कहूं या आफत ही आफत
करने चले थे थोड़ी सी खिलाफत
वो भी मुकर गए बन आफत ही आफत
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हम बैठ तलाशते कोई शिकायत
वो ठीठ गुमाते आफत ही आफत
मिल जाए गर कोई शगूफा हो हमपे इनायत
वरना जान पे बनी है आफत ही आफत
रूसे बैठ गर वो जायें तो कोई राहत
वरना क्या पता कब गिरे आफत ही आफत
तूफ़ान की सीटियाँ या काबे का जलजला
ये क्या मजाल है जो कहे आफत ही आफत
तखलिया कहते रहे गोया अब तन्हाई भी आफत
अब किधर भागें के है आफत ही आफतSee More
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