यह किस माया का भरमाया है यह किस माया का भरमाया है
के हम घुमे ज़ाया ज़ाया हैं
क्या ज़मी पे जन्नत आया है
खुली आँखों से खुदा सामने पाया है
मद्धम मूंदें होश है
शोर भी गुमशुदा खामोश है
चांदी सा चाँद कौड़ी का हुआ
सादा सा बादल जो दीवाना हुआ
यूँही कुछ पन्नों पे खेंच रहे
या यूँही हम खिंच रहे
के कभी न रहे किसी बस के वो
फिर किस बेबसी के साथ कह रहे
यह किस माया का भरमाया है
के हम घुमे ज़ाया ज़ाया हैं
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