के और दीजेये आप, आप की कमी सी है! जाने क्या मांग लिया जो आँख में नमीं सी है
और दीजीये आप, के आप की कमी सी है
खुद को खुद ही से छिपा रहे
जाने क्यूँ आप से जुदा रहे
ये बेगाना नहीं चाहिए
के और दीजेये आप, आप की कमी सी है
कोई कहे तलबी कोई मतलबी
आप कहैं कोई गिला नहीं शिकवा नहीं
बस आप ही आप चाहिए
के और दीजेये आप, आप की कमी सी है
परत दर परत छुपा रखी ये खूबसूरत
अब जब देख ली ये सीरत
तो और कौन चाहिए
के और दीजेये आप, आप की कमी सी है
खुरच खुरच जमी ये जिद्द निकाली है
कुछ खुरचन मेरी कुछ चोट आपकी है
अब जो फूँख फूँख सिसक रहे...तो गैर क्यूँ समझ रहे
के और दीजेये आप, आप की कमी सी है
नब्ज़ की हरकत पे न जाईये
वो दगा दे चुके, दंग न रह जाईये
जो बचा है आपका उसको बचाइए
....................के और दीजेये आप, आप की कमी सी है
|